Thursday 15 December 2011

जब दोनों की सील टूटी

,
मेरे प्रिय दोस्तो,
सभी सिसकती चूतों और तड़पते लंडों को राज के खड़े लंड का सलाम !
मेरी पहली कहानी
जा क्यों नहीं रहा है ?
प्रकाशित होने के बाद जो प्रतिक्रिया मिली, उससे लगता है कि मुझे अपने बाकी अनुभव भी आपके साथ बांटने चाहिए।
इसलिए हाज़िर हूँ एक और कहानी के साथ !
बात तब की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा देकर छुट्टियों में मेरे बड़े भाई की ससुराल गया। वहाँ पर भाई के दो साले और एक साली जो मेरे हमउम्र थे, से मेरी अच्छी पटने लगी। मैं पढ़ाई में काफी तेज़ हूँ इसलिए सब लोग मुझसे कुछ न कुछ पूछते रहते थे।
एक दिन भाई की साली, जिसका नाम माया है, ने मुझसे कहा- राज मुझे भी थोड़ा पढ़ा दिया करो तो मैं भी मेरी क्लास में आगे रहूँगी।
मैंने कहा- ठीक है और अगले दिन से हमने पढ़ाई शुरू कर दी।
मैं आपको बता दूँ कि मैंने इससे पहले मुठ तो बहुत मारी थी लेकिन चूत को तब तक पास से भी नहीं देखा था। माया को मैं पहले चोदना चाहता था। वो जब भी अपनी गांड मटकाती हुई मेरे सामने से निकलती थी तो मेरा लंड उसे सलामी देने लगता था। 32-28-34 की मस्त फिगर थी उसकी। उसके वक्ष तब 'सी' आकार के रहे होंगे।
दो चार दिन में ही मुझे पता चल गया कि वो भी मुझमें रूचि ले रही है तो मैंने भी उसे इधर उधर से छूना शुरू कर दिया।
फिर उसकी तरफ से कोई विरोध न देखकर मेरी हिम्मत बढ़ गई, अब मैं कभी उसके वक्ष को, कभी कमर को और कभी उसके चूतड़ों को कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ने लगा।
फिर एक दिन मैंने उससे पूछा- कभी चुदाई कराई है किसी से?
उसने ना में जवाब दिया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा, मैंने सोचा मज़े आयेंगे जब उसकी चुदाई होगी। उसकी चूत भी सील पैक है और मेरे लंड का भी यही हाल है। हम मौके की तलाश में थे और मौका मिला हमें दो दिन बाद जब सभी घरवाले एक रिश्तेदार के घर शादी में गए वो भी तीन दिन के लिए। हमें तो समझो मुँह मांगी मुराद मिल गई।
बहुत इंतजार करने के बाद रात आई, पूरे घर में वो, मैं और उसकी भाभी ही बचे थे। रात के करीब ग्यारह बजे होंगे। हमारा कार्यक्रम पहले ही पक्का था।
दिन में मैं दूर की दुकान से कंडोम खरीद लाया था। दरवाज़े पर आहट होते ही मैं खड़ा हुआ, देखा कि माया खड़ी है। मैंने उसे अन्दर खींचकर दरवाज़ा बंद कर दिया और उसको देखता रहा। सफ़ेद सूट में वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
मुझे ऐसे देखा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- देख रहा हूँ कि आज तुम्हारी सील टूटने वाली है।
उसने कहा- मैं तो कब से सोच रही हूँ कि तुम मुझे प्यार करो।
मैंने कहा- आज तो देखती जाओ, मैं क्या क्या करता हूँ तुम्हारे साथ !
फिर शुरू हुआ हमारा चुदाई का खेल, मैं इतना उत्तेजित था कि क्या बताऊँ। मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था, मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये, पहले कमीज़ और फिर सलवार। अब वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी, मैं अभी जिस हाल में उसे देख रहा था इतना भी पहले किसी लड़की को नहीं देखा था। तब मुझे लगा कि लड़की कितनी सेक्सी चीज़ होती है, इसके रोम रोम में सेक्स भरा होता है।
मैंने उसे पकड़कर ज़ोरदार चुम्बन लिया और उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
मैंने कहा- माया अब तुम मेरे कपड़े उतारो !
उसने एक-एक करके मेरे पैंट, शर्ट और बनियान उतार दिए, अब मैं अंडरवीयर में था और वो ब्रा-पैंटी में। मैंने ब्रा के उपर से ही उसके वक्ष को दबाया तो वो अपने आप में सिमटने लगी। मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं एक लड़की को बिना कपड़ों के देख रहा हूँ और वो भी उस हालत में जब वो मुझसे ही चुदने के लिए तैयार हो। फिर मैंने उसके ब्रा और पैंटी भी उतार दिए। क्या चूत थी वो, हल्के सुनहरे रोयें आने शुरू ही हुए थे। आज भी उस चूत को याद करता हूँ तो पानी निकले बिना नहीं रहा जाता।
हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने मेरा लंड देखकर आँखें बंद कर ली, पर मैं कहाँ मानने वाला था।
मैं बैड पर आ गया और उसे चूमना शुरू किया। उसके होठों पर, उसके गर्दन पर, गर्दन के पीछे और फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर आता गया, हम दोनों का ही पहला अनुभव था इसलिए सब कुछ नया-नया सा लग रहा था। मैं उसके चूचे दबाता जा रहा था और साथ ही चुचूक भी रगड़ रहा था, वो बस आँखें बंद करके सिसकारियाँ ले रही थी। मैं उसके सारे बदन को चूम रहा था। उसके गालों से उसकी जांघों तक फिर चूत पर आकर एक गहरा चुम्बन लिया तो वो चिहुंक उठी और उसने मेरा लंड पकड़ लिया और कहा- राज अब करो भी। डाल दो इसको अंदर। अब नहीं रहा जाता।
मैं समझ गया कि सही वक़्त है अब रुकना ठीक नहीं।
मैंने उसकी टांगें फैलाकर चौड़ी कर दी, चूत का छेद साफ दिखाई देने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ी के बीच में किसी तितली ने थोड़ा सा चाटकर छेद बना लिया हो। छोटा सा छेद देखकर मुझे भी लगा कि इसमें इतना बड़ा लंड कैसे जायेगा।
लेकिन जो होना था उसको कौन रोक सकता है। मैंने ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम उठाई और बहुत सारी निकालकर उसकी चूत और अपने लंड पर लगा ली, जिससे लंड आसानी से चूत में चला जाये, लंड को पकड़कर उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर रख दिया और एक जोर का धक्का दिया। लंड का केवल अग्र भाग ही चूत के अन्दर गया होगा, लेकिन वो दर्द से छटपटा उठी और चिल्लाने लगी।
मैं डर गया कि कहीं भाभी न जाग जाये, फिर मैंने लंड निकालकर उसे पूरे बदन पर चूमा और कहा- अगर ज्यादा दर्द है तो नहीं करते !
लेकिन मेरे प्यार और चूमने से शायद वो अपना दर्द भूल गई थी, तो बोली- नहीं राज, यह रात फिर पता नहीं कब आएगी। मैं सह लूंगी, तुम डालो इसको अंदर पर धीरे से डालना।
लेकिन मैं समझ रहा था कि इस बार अगर बीच में अटक गए तो मुश्किल हो जाएगी, इसलिए लंड और चूत पर क्रीम लगाकर अपने दोनों हाथ उसके फैले हुए घुटनों पर रखे और लंड को चूत के मुँह पर रखकर पूरी ताकत से जो झटका मारा तो लंड चूत की धज्जियाँ उड़ाता हुआ चूत की गहराई में अंदर तक उतर गया।
माया की आँखों से आंसू छलकने लगे लेकिन उसके होठों को मैंने अपने होठों से कस रखा था तो उसके मुँह आवाज़ न निकल सकी। तभी मैंने भी लंड में बहुत तेज़ दर्द महसूस किया। मुझे नहीं पता था कि दर्द क्यों हो रहा है। वो भी दर्द से बेचैन थी और मेरा भी बुरा हाल था। मैं सोच रहा था कि इतनी कसी चूत में पहली बार गया है शायद इसलिए हो रहा है, जबकि सच यह था कि मेरी भी सील तभी टूटी थी जब मैंने माया की सील तोड़ी।
मैं उसकी चूत में लंड डालकर 5 मिनट तक शांत पड़ा रहा और जब दर्द कम हुआ तो मैंने धक्के मारने शुरू किये। लंड चूत में इतनी बुरी तरह कसा हुआ था, लग रहा था जैसे किसी ने प्लास से पकड़ रखा हो लेकिन मज़ा भी उतना ही आ रहा था।
फिर धीरे-धीरे धक्के तेज़ हुए तो मज़ा भी ज्यादा आने लगा, उसे भी और मुझे भी।
मेरे होठों ने उसके होठों को कस रखा था, दोनों स्तन मेरे पंजों की गिरफ्त में थे और उसकी चूत ने मेरे लंड को कब्ज़े में ले रखा था। किसी की चुदाई करने का मेरा पहला अनुभव था यह। मैं धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था फिर वो भी नीचे से धक्के मारते हुए मेरा साथ देने लगी। मेरे साथ-साथ उसके धक्कों की गति भी बढ़ती ही जा रही थी। शायद वो झड़ने वाली थी लेकिन मुझे नहीं पता कि वो कैसे झड़ेगी और उसे कैसा लगेगा। मैं तो बस लंड को चूत में डालकर धक्के मार मार कर चूत का न जाने क्या बना देना चाहता था।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और वो मुझसे चिपकने लगी। वो मुझे अपने आप में समेट लेना चाहती थी और मुझे चूमती ही जा रही थी। इधर मैं भी चुदाई के उस पड़ाव पर था जहाँ कोई भी चुदाई को बीच में नहीं रोक सकता। वो मुझे चूमती जा रही थी और मैं उसे चोदता जा रहा था।
अन्ततः मेरे लंड ने भी लावा उगल दिया उसकी चूत में। मेरा बदन लहराते हुए उसके ऊपर ढेर हो गया।
थोड़ी देर उसी हालत में हम लेटे रहे। मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया लेकिन लंड अभी भी चूत में ही था। थोड़ी देर में मैंने लंड निकाला और हम दोनों बैड पर बैठ गए लेकिन बिस्तर देखकर हमारी हालत ख़राब हो गई। जितनी जगह में चुदाई हुई थी वो पूरी की पूरी खून से लाल हो चुकी थी। उसको चूत में दर्द हो रहा था। मैंने देखा मेरा लंड भी खून से सना था। ऊपर की चमड़ी हटाकर देखा तो पता चला की लण्ड के ऊपरी हिस्से में जहा छल्ला जैसा होता है वहाँ से लंड की खाल कट गई है। शायद लड़के की सील टूटना यही होता है।
लंड और चूत दोनों का ही बुरा हाल था, तो हमने रात में दोबारा कुछ नहीं किया। बस एक दूसरे से लिपट कर सो गए, लेकिन उसके बाद के तीन दिन मेरी ज़िन्दगी के सबसे हसीन दिन थे जब हमने सेक्स और जिंदगी का पूरा मज़ा लिया। याद नहीं उन तीन दिनों में कितनी बार चुदाई की होगी।
उसके बाद जब भी हम मिलते, हमारा चुदाई का कार्यक्रम बन ही जाता और हम अपने पुराने दिनों में खो जाते।
अब हम दोनों की अलग अलग शादी हो चुकी है और दोनों अपनी ज़िन्दगी से खुश हैं, लेकिन अब मौका नहीं मिलता वो सब करने का। अब कभी जब उसकी याद आती है तो मुठ मारकर खुद को और अपने लंड को तसल्ली देता हूँ ...
यह थी मेरी दूसरी कहानी। अपनी राय मुझे मेल करना, फिर अपना एक और अनुभव बांटने आऊँगा।
राजेश वर्मा
rv5988@gmail.com

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